डबला से फूले फिरें, फरकत फूफा आज डबला से फूले फिरें, फरकत फूफा आज
दोहा दोहा
काव्य रचूँ ऐसा मधुर, जो जग को हर्षाय।। काव्य रचूँ ऐसा मधुर, जो जग को हर्षाय।।
जिसके मुख से मैं निकलूं, उसके मुख की वाणी हूं। जिसके मुख से मैं निकलूं, उसके मुख की वाणी हूं।
आओ हम सब घूम ले, कर ले जीवन सैर। नहीं मिलेगी जिंदगी, छोड़ो गुस्सा बैर। आओ हम सब घूम ले, कर ले जीवन सैर। नहीं मिलेगी जिंदगी, छोड़ो गुस्सा बैर।